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Horror story 3
एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम विक्रम था। विक्रम बहुत चालाक और शरारती बच्चा था। एक रात, उसके माता-पिता बाहर गए और उसे अकेला घर में छोड़ दिया। विक्रम को डर नहीं था और उसने सोचा कि वह खुद को इस रात का सबसे बहादुर बच्चा साबित करेगा।
जब रात का समय आया तो विक्रम ने एक पुरानी किताब ढूंढी जो उसके घर में छुपी हुई थी। किताब का नाम था "भूतों की कहानियाँ"। विक्रम ने उस किताब को खोला और पढ़ना शुरू किया।
विक्रम के आगे बच्चों की कहानियां खुलती गईं, जिनमें भूतों के डरावने रूप और वास्तविकता के भयानक अनुभवों का वर्णन था। धीरे-धीरे, उसे भूतों की दुनिया में खो जाने का अनुभव होने लगा।
चिढ़ाते हुए, विक्रम ने सोचा कि उसे भूतों का कुछ सच्चाई मालूम करनी चाहिए। उसने इंटरनेट पर खोज की और एक चमत्कारिक रहस्यमय भूत की कहानी खोजी।
खाता विवरणों में लिखा था कि यह भूत एक पुराने हवेली में रहता है और रात में ही जगह बदल लेता है। विक्रम को यह सुनकर बहुत अच्छा लगा और उसने सोचा कि वह अगली रात उस हवेली की तलाश करेगा।
अगली रात, विक्रम ने एक पुरानी और भयानक हवेली ढूंढ ली। वह चुपचाप आंखें बंद करके हवेली के भीतर चला गया। जैसे ही उसने आंखें खोलीं, वह घबरा गया। हवेली बहुत डरावनी और खाली थी।
धीरे-धीरे, उसकी आवाज़ें वापस उसके कानों में आने लगीं - दरावनी हंसी, भूतों के विलाप, और खौफनाक आहातें। विक्रम के दिमाग में डर की खयालात घुम रहे थे।
आधी रात को, विक्रम ने भूतों की कहानियों में पढ़ा हुआ एक उपाय याद किया - उसे किसी भूत को चुप कराने के लिए अपने जूतों की टांकी खोलनी होगी। जूतों की टांकी खोलने से भूत उस आवाज को सुनकर चुप हो जाता है।
धीरे-धीरे, विक्रम ने अपने जूतों की टांकी खोली और एक बड़ी भयानक आवाज़ उठी। भूत खाली और खोखली हवेली में दौड़ने लगे। धीरे-धीरे वह दौड़ते दौड़ते हवेली से बाहर निकल आए और गांव के दूसरी ओर ले गए।
जब विक्रम ने अपनी जूती की टांकी बंद की, उसने महसूस किया कि वहां कुछ अद्भुत हुआ है। उसकी आंखें एक अद्भुत शक्ति और शांति से भर गईं। वह डर से छुटकारा पा चुका था।
विक्रम ने जान लिया कि वह भूतों के साथ खेलने के बजाय उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए। वह अपनी दिमागी और आध्यात्मिक शक्ति को मजबूत बनाने के लिए भूतों की दुनिया का अध्ययन करने लगा।
यह कहानी सिर्फ विक्रम की बहादुरी और समझदारी का प्रतीक है। उसने डर का मुकाबला किया और अपने आप में छिपी हुई ताकत को पहचाना। अब वह भूतों की दुनिया को अपने लिए बहुतायत का साधन बना चुका है।
यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हमें डर से नहीं बल्क समझ से लड़ना चाहिए। भूतों के पीछे छिपी रहस्यमयी दुनिया को समझने के लिए हमें अपनी मनोशक्ति और साहस बढ़ाने की जरूरत होती है। विक्रम ने यह सब सीखा और उसकी कहानी लोगों को भी प्रेरित करती है कि हमें अपने भय का सामना करने के लिए हमारी शक्तियों को खोजना चाहिए।
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